आंखें खोल देगी बाल वेश्यावृत्ति की यह कड़वी सच्चाई!
हरियाणा के 'अपना घर' कांड से पूरा देश
थर्रा गया है। यहां लड़कियों की सुरक्षा के नाम पर जो घिनौना खेल खेला जा
रहा था, उससे लोग सन्न हैं। बताया जा रहा है कि यहां की लड़कियों की पॉर्न
फिल्में बनाई जाती थीं। इसके लिए उन्हें पिकनिक के बहाने चंडीगढ़ ले जाकर
होटलों में ठहराया जाता था। होटलों के स्वीमिंग पूल में न्यूड होकर नहाने
को मजबूर किया जाता था। उनके साथ अश्लील हरकतें करते हुए वीडियो फिल्में
बनाई गईं। जबरन उनके कपड़े उतरवाए गए।
भारत में बाल वेश्याओं की निश्चित संख्या कितनी है, इसका कोई आकलन नहीं है। लेकिन यूनिसेफ का मानना है कि इनकी संख्या 70 हजार से एक लाख तक हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात के ठोस प्रमाण हैं कि दूसरे दक्षिण एशियाई देशों, खासकर बांग्लादेश और नेपाल से बच्चियों को भारतीय वेश्यालयों में लाने के साथ ही उन्हें पश्चिमी एवं अन्य अमीर देशों में भेजा जाता है।
भारत सरकार द्वारा कुछ साल पहले दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरू के वेश्यालयों में करवाए गए एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा गया है कि उनमें मौजूद एक लाख से भी ज्यादा वेश्याओं में लगभग एक तिहाई 20 वर्ष से कम उम्र की हैं और 40 फीसदी ऐसी हैं जो इस धंधे में 13 से 15 वर्ष की उम्र के बीच लाई गईं थीं।
भारत में नेपाली वेश्याओं की संख्या लगभग एक लाख है। इनमें 20 फीसदी 14 वर्ष से कम उम्र की हैं। मुंबई में 12-13 साल की नेपाली बाल वेश्याएं काफी संख्या में मौजूद हैं। बच्चों का यौन शोषण पूरी दुनिया में लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसे बाल श्रम और बंधुआ श्रम का सबसे घिनौना रूप माना जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने सेक्स उद्योग में बच्चों के शोषण पर गहरी चिंता व्यक्त की है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का मानना है कि जिन देशों में बाल वेश्यावृ्त्ति के अड्डे हैं, उनका प्रचार बाहरी देशों में कर पर्यटकों को आकर्षित किया जाता है। यही कारण है कि यहां पश्चिमी देशों के सेक्स मनोविकृत पर्यटक काफी संख्या में आते हैं।
इस संगठन का मानना है कि बाल यौन शोषण इतना ज्यादा बढ़ता चला जा रहा है कि इस पर नियंत्रण रखना सिर्फ उसी देश की जिम्मेवारी नहीं है जहां बच्चों का शोषण हो रहा है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय जिम्मेवारी है कि इस पर रोक लगाने के हर संभव प्रयास किए जाएं।
भारत में बाल वेश्याओं की निश्चित संख्या कितनी है, इसका कोई आकलन नहीं है। लेकिन यूनिसेफ का मानना है कि इनकी संख्या 70 हजार से एक लाख तक हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात के ठोस प्रमाण हैं कि दूसरे दक्षिण एशियाई देशों, खासकर बांग्लादेश और नेपाल से बच्चियों को भारतीय वेश्यालयों में लाने के साथ ही उन्हें पश्चिमी एवं अन्य अमीर देशों में भेजा जाता है।
भारत सरकार द्वारा कुछ साल पहले दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरू के वेश्यालयों में करवाए गए एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा गया है कि उनमें मौजूद एक लाख से भी ज्यादा वेश्याओं में लगभग एक तिहाई 20 वर्ष से कम उम्र की हैं और 40 फीसदी ऐसी हैं जो इस धंधे में 13 से 15 वर्ष की उम्र के बीच लाई गईं थीं।
भारत में नेपाली वेश्याओं की संख्या लगभग एक लाख है। इनमें 20 फीसदी 14 वर्ष से कम उम्र की हैं। मुंबई में 12-13 साल की नेपाली बाल वेश्याएं काफी संख्या में मौजूद हैं। बच्चों का यौन शोषण पूरी दुनिया में लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसे बाल श्रम और बंधुआ श्रम का सबसे घिनौना रूप माना जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने सेक्स उद्योग में बच्चों के शोषण पर गहरी चिंता व्यक्त की है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का मानना है कि जिन देशों में बाल वेश्यावृ्त्ति के अड्डे हैं, उनका प्रचार बाहरी देशों में कर पर्यटकों को आकर्षित किया जाता है। यही कारण है कि यहां पश्चिमी देशों के सेक्स मनोविकृत पर्यटक काफी संख्या में आते हैं।
इस संगठन का मानना है कि बाल यौन शोषण इतना ज्यादा बढ़ता चला जा रहा है कि इस पर नियंत्रण रखना सिर्फ उसी देश की जिम्मेवारी नहीं है जहां बच्चों का शोषण हो रहा है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय जिम्मेवारी है कि इस पर रोक लगाने के हर संभव प्रयास किए जाएं।
No comments:
Post a Comment